ज़मीर ओ ज़ेहन में इक सर्द जंग जारी है By Sher << ना-उमीदी हर्फ़-ए-तोहमत ही... सुन के रूदाद-ए-अलम मेरी व... >> ज़मीर ओ ज़ेहन में इक सर्द जंग जारी है किसे शिकस्त दूँ और किस पे फ़त्ह पाऊँ मैं Share on: