ना-उमीदी हर्फ़-ए-तोहमत ही सही क्या कीजिए By Sher << लोगों के फोड़ता फिरे शीशे ज़मीर ओ ज़ेहन में इक सर्द... >> ना-उमीदी हर्फ़-ए-तोहमत ही सही क्या कीजिए तुम क़रीब आते नहीं हो और ख़ुदा मिलता नहीं Share on: