ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़ By अख़बार, Sher << आख़िर को रूह तोड़ ही देगी... अजीब ख़्वाब था आँखों में ... >> ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़ ये ज़िंदगी है कि अख़बार का तराशा है Share on: