अहबाब मुझ से क़त-ए-तअल्लुक़ करें 'जिगर' By Sher << ज़ब्त-ए-जुनूँ से अंदाज़ों... हरीफ़-ए-तेग़-ए-सितम-गर तो... >> अहबाब मुझ से क़त-ए-तअल्लुक़ करें 'जिगर' अब आफ़्ताब-ए-ज़ीस्त लब-ए-बाम आ गया Share on: