जिसे परछाईं समझे थे हक़ीक़त में न पैकर हो By Sher << ख़याल आया हमें भी ख़ुदा क... हर-दम बदन की क़ैद का रोना... >> जिसे परछाईं समझे थे हक़ीक़त में न पैकर हो परखना चाहिए था आप को उस शय को छू कर भी Share on: