जो कि सज्दा न करे बुत को मिरे मशरब में By Sher << काफ़िर हूँ जो महरम पे भी ... जो आज चढ़ाते हैं हमें अर्... >> जो कि सज्दा न करे बुत को मिरे मशरब में आक़िबत उस की किसी तौर से महमूद नहीं Share on: