जुर्म आदम ने किया और नस्ल-ए-आदम को सज़ा By Sher << मैं जो सर-ब-सज्दा हुआ कभी... रंगों में तेरा अक्स ढला त... >> जुर्म आदम ने किया और नस्ल-ए-आदम को सज़ा काटता हूँ ज़िंदगी भर मैं ने जो बोया नहीं Share on: