जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं By इश्क़, हवा, Sher << आज तक कोई न अरमान हमारा न... शुऊर-ए-ज़िंदगी की रौशनी म... >> जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं कैसे नादान हैं शो'लों को हवा देते हैं Share on: