जुरअत-ए-शौक़ तो क्या कुछ नहीं कहती लेकिन By Sher << अल्फ़ाज़ में बंद हैं मआनी फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल... >> जुरअत-ए-शौक़ तो क्या कुछ नहीं कहती लेकिन पाँव फैलाने नहीं देती है चादर मुझ को Share on: