कभी तो शहीदों की क़ब्रों पे आओ By Sher << शब-ओ-रोज़ नख़्ल-ए-वजूद को... अब तो साफ़ सुनता हूँ अपने... >> कभी तो शहीदों की क़ब्रों पे आओ ये सब घर तुम्हारे बसाए हुए हैं Share on: