कभी उस से दुआ की खेतियाँ सैराब करना By Sher << मैं तिरे हिज्र की गिरफ़्त... याद बन के पहलू में मौसमों... >> कभी उस से दुआ की खेतियाँ सैराब करना जो पानी आँख के अंदर कहीं ठहरा हुआ है Share on: