कभू बीमार सुन कर वो अयादत को तो आता था By Sher << मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ... लोग ज़िंदा नज़र आते थे मग... >> कभू बीमार सुन कर वो अयादत को तो आता था हमें अपने भले होने से वो आज़ार बेहतर था Share on: