मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ वो हर एक ताज़ा पयाम से By Sher << शक्ल इंसान की हो चाल भी इ... कभू बीमार सुन कर वो अयादत... >> मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ वो हर एक ताज़ा पयाम से कभी आ के मंज़र-ए-आम पर कभी हट के मंज़र-ए-आम से Share on: