क़यामत है तिरी उठती जवानी By Sher << 'सौदा' जहाँ में आ... राह निकलेगी न कब तक कोई >> क़यामत है तिरी उठती जवानी ग़ज़ब ढाने लगीं नीची निगाहें Share on: