ख़ाक में मिल जाए वो चश्मा न जिस में आब हो By Sher << ख़ुद-ब-ख़ुद अपना जनाज़ा ह... काहीदा मुझ को देख के वो ग... >> ख़ाक में मिल जाए वो चश्मा न जिस में आब हो फूट जाए आँख अगर मौक़ूफ़ रोना हो गया Share on: