ख़ुद-ब-ख़ुद अपना जनाज़ा है रवाँ By Sher << कू-ए-जानाँ से जो उठता हूँ... ख़ाक में मिल जाए वो चश्मा... >> ख़ुद-ब-ख़ुद अपना जनाज़ा है रवाँ हम ये किस के कुश्ता-ए-रफ़्तार हैं Share on: