खोलीं वो दर किसी ने भी खोला न हो जिसे By Sher << मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है ... तिरी शोख़ आँखों में बारहा... >> खोलीं वो दर किसी ने भी खोला न हो जिसे कोई जिधर न जाए उधर जाना चाहिए Share on: