किताब-ए-दर्स-ए-मजनूँ मुसहफ़-रुख़्सार-ए-लैला है By Sher << ज़हर मीठा हो तो पीने में ... जिस शख़्स के जीते जी पूछा... >> किताब-ए-दर्स-ए-मजनूँ मुसहफ़-रुख़्सार-ए-लैला है हरीफ़-ए-नुक्ता-दान-ए-इश्क़ को मकतब से क्या मतलब Share on: