किताब-ए-ज़ीस्त का उनवान बन गए हो तुम By Sher << करे दरिया न पुल मिस्मार म... निकल गुलाब की मुट्ठी से औ... >> किताब-ए-ज़ीस्त का उनवान बन गए हो तुम हमारे प्यार की देखो ये इंतिहा साहब you have become the title of the book of life such is the extent of my love, sahab Share on: