कोई बात ख़्वाब-ओ-ख़याल की जो करो तो वक़्त कटेगा अब By Sher << कोई ताइर इधर नहीं आता किन मंज़िलों लुटे हैं मोह... >> कोई बात ख़्वाब-ओ-ख़याल की जो करो तो वक़्त कटेगा अब हमें मौसमों के मिज़ाज पर कोई ए'तिबार कहाँ रहा Share on: