कुछ बदन की ज़बान कहती थी By Sher << लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-जिगर याद... तुम ने कैसा ये राब्ता रक्... >> कुछ बदन की ज़बान कहती थी आँसुओं की ज़बान में था कुछ Share on: