कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ By Sher << वो तिफ़्ल-ए-नुसैरी आए शाय... शहर के आबाद सन्नाटों की व... >> कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ कुछ को लेकिन आसमानों के ख़ज़ाने चाहिएँ Share on: