लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है By रंग, किस, मेंहदी, Sher << बहुत हैं सज्दा-गाहें पर द... अब मिरी तन्हाई भी मुझ से ... >> लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ तो मेहंदी रंग लाती है Share on: