लब-ए-निगार को ज़हमत न दो ख़ुदा के लिए By Sher << लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का... जब उठे तूफ़ाँ तो कोई चीज़... >> लब-ए-निगार को ज़हमत न दो ख़ुदा के लिए हम अहल-ए-शौक़ ज़बान-ए-नज़र समझते हैं Share on: