ये तूफ़ान-ए-हवादिस और तलातुम बाद ओ बाराँ के By Sher << समेटता रहा ख़ुद को मैं उम... लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ... >> ये तूफ़ान-ए-हवादिस और तलातुम बाद ओ बाराँ के मोहब्बत के सहारे कश्ती-ए-दिल है रवाँ अब तक Share on: