मैं गुल-ए-ख़ुश्क हूँ लम्हे में बिखर सकता हूँ By Sher << कभू तू रो तो उस को ख़ाक ऊ... ज़रा जो हम ने उन्हें आज म... >> मैं गुल-ए-ख़ुश्क हूँ लम्हे में बिखर सकता हूँ ये भी मुमकिन है कि कुछ देर हवा रहने दे Share on: