मैं ने चाहा था कि अश्कों का तमाशा देखूँ By Sher << मैं इसी मिट्टी से उट्ठा थ... वो सुब्ह को इस डर से नहीं... >> मैं ने चाहा था कि अश्कों का तमाशा देखूँ और आँखों का ख़ज़ाना था कि ख़ाली निकला Share on: