मैं ने देखी है अमीर-ए-शहर की वो मुफ़्लिसी By Sher << मुद्दत से रही फ़र्श तिरी ... अश्कों में रंग-ओ-बू-ए-चमन... >> मैं ने देखी है अमीर-ए-शहर की वो मुफ़्लिसी दौलत-ए-दुनिया थी लेकिन ग़म का सरमाया न था Share on: