मैं संतरी हूँ औरतों की जेल का हुज़ूर By Sher << न जाने किस तरह बिस्तर में... ग़ैरों को भला समझे और मुझ... >> मैं संतरी हूँ औरतों की जेल का हुज़ूर दो-चार क़ैदी इस लिए कम गिन रहा हूँ मैं Share on: