मैं टूटने देता नहीं रंगों का तसलसुल By Sher << आई क्या जी में तेग़-ए-क़ा... इक क़िस्सा-ए-तवील है अफ़्... >> मैं टूटने देता नहीं रंगों का तसलसुल ज़ख़्मों को हरा करता हूँ भर जाने के डर से Share on: