मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में आ बैठो By Sher << आते नज़र हैं दश्त-ओ-जबल ज... वो महकता है जो ख़ुश्बू के... >> मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में आ बैठो स्याही है सफ़ेदी है शफ़क़ है अब्र-ए-बाराँ है Share on: