मातम-ए-मर्ग-ए-तमन्ना न समझ ऐ नादाँ By Sher << हज़ारों पैकर-ए-उम्मीद नज़... हम ने तुम्हारे बाद न रक्ख... >> मातम-ए-मर्ग-ए-तमन्ना न समझ ऐ नादाँ ज़िंदगी बोल रही है मिरे अफ़्साने में Share on: