मय-कदे को जा के देख आऊँ ये हसरत दिल में है By हसरत, मय कदा, Sher << शायद जड़ों के ज़हर ने शाख... जो मिरी रियाज़त-ए-नीम-शब ... >> मय-कदे को जा के देख आऊँ ये हसरत दिल में है ज़ाहिद उस मिट्टी की उल्फ़त मेरी आब-ओ-गिल में है Share on: