मेरी दुनिया में अभी रक़्स-ए-शरर होता है By Sher << निकलो भी कभी सूद-ओ-ज़ियाँ... क्यूँ हुआ मुझ को इनायत की... >> मेरी दुनिया में अभी रक़्स-ए-शरर होता है जो भी होता है ब-अंदाज़-ए-दिगर होता है Share on: