मिलता है आदमी ही मुझे हर मक़ाम पर By आदमी, Sher << सालिक है गरचे सैर-ए-मक़ाम... रात आई है बलाओं से रिहाई ... >> मिलता है आदमी ही मुझे हर मक़ाम पर और मैं हूँ आदमी की तलब से भरा हुआ Share on: