सालिक है गरचे सैर-ए-मक़ामात-ए-दिल-फ़रेब By Sher << शाख़ से टूट के पत्ते ने य... मिलता है आदमी ही मुझे हर ... >> सालिक है गरचे सैर-ए-मक़ामात-ए-दिल-फ़रेब जो रुक गए यहाँ वो मक़ाम-ए-ख़तर में हैं Share on: