रात आई है बलाओं से रिहाई देगी By Sher << मिलता है आदमी ही मुझे हर ... 'मीर' से बैअत की ... >> रात आई है बलाओं से रिहाई देगी अब न दीवार न ज़ंजीर दिखाई देगी Share on: