'क़मर' अपने दाग़-ए-दिल की वो कहानी मैं ने छेड़ी By Sher << ग़ज़ालों को तिरी आँखें से... मुंतज़िर तेरे हैं चश्म-ए-... >> 'क़मर' अपने दाग़-ए-दिल की वो कहानी मैं ने छेड़ी कि सुना किए सितारे मिरा रात भर फ़साना Share on: