न इतना ज़ुल्म कर ऐ चाँदनी बहर-ए-ख़ुदा छुप जा By Sher << मैं आसमान-ए-मोहब्बत से रु... क़ौम के ग़म में डिनर खाते... >> न इतना ज़ुल्म कर ऐ चाँदनी बहर-ए-ख़ुदा छुप जा तुझे देखे से याद आता है मुझ को माहताब अपना Share on: