तमन्नाओं को ज़िंदा आरज़ूओं को जवाँ कर लूँ By Sher << न दूँगा दिल उसे मैं ये हम... न निकली हसरत-ए-दिल एक भी ... >> तमन्नाओं को ज़िंदा आरज़ूओं को जवाँ कर लूँ ये शर्मीली नज़र कह दे तो कुछ गुस्ताख़ियाँ कर लूँ Share on: