न होता ख़ानुमाँ तो ख़ानुमाँ-बर्बाद क्यों होती By Sher << पयाम-ए-ज़िंदगी-ए-नौ न बन ... मस्ती भरी हवाओं के झोंके ... >> न होता ख़ानुमाँ तो ख़ानुमाँ-बर्बाद क्यों होती 'अदा' ये रंग लाई आरज़ू-ए-आशियाँ मेरी Share on: