न जाने कैसा मसीहा था चाहता क्या था By Sher << सुकूत-ए-शब में दर-ए-दिल प... मेरे उस के दरमियाँ हाइल क... >> न जाने कैसा मसीहा था चाहता क्या था तमाम शहर को बीमार देख कर ख़ुश था Share on: