पहले चादर की हवस में पाँव फैलाए बहुत By Sher << कौन पढ़ता है यहाँ खोल के ... नाख़ुदा हो कि ख़ुदा देखते... >> पहले चादर की हवस में पाँव फैलाए बहुत अब ये दुख है पाँव क्यूँ चादर से बाहर आ गया Share on: