निकलते हैं बराबर अश्क मेरी दोनों आँखों से By Sher << पड़ गई छींट तो इतना न ख़फ... 'नसीम'-ए-देहलवी ह... >> निकलते हैं बराबर अश्क मेरी दोनों आँखों से मता-ए-दर्द तुलने की तराज़ू हो तो ऐसी हो Share on: