पड़ गई छींट तो इतना न ख़फ़ा हो वाइ'ज़ By Sher << प्यार से दुश्मन के वो आलम... निकलते हैं बराबर अश्क मेर... >> पड़ गई छींट तो इतना न ख़फ़ा हो वाइ'ज़ मय रहेगी तिरी आग़ोश में दुख़्तर हो कर Share on: