पौ फटते ही 'रियाज़' जहाँ ख़ुल्द बन गया By Sher << माशूक़ से भी हम ने निभाई ... यही दिल जिस को शिकायत है ... >> पौ फटते ही 'रियाज़' जहाँ ख़ुल्द बन गया ग़िल्मान-ए-महर साथ लिए आई हूर-ए-सुब्ह Share on: