पीरी हुई शबाब से उतरा झटक गया By Sher << 'मजरूह' लिख रहे ह... ग़ज़ालों को तिरी आँखें से... >> पीरी हुई शबाब से उतरा झटक गया शाएर हूँ मेरा मिस्रा-ए-सानी लटक गया Share on: