रास आए तुम को मुल्क-ए-इश्क़ की आब-ओ-हवा By Sher << किस क़दर यादें उभर आई हैं... ख़ुदा बचाए तिरी मस्त मस्त... >> रास आए तुम को मुल्क-ए-इश्क़ की आब-ओ-हवा आशिक़ो हर-वक़्त शग़्ल-ए-आह-ओ-ज़ारी चाहिए Share on: