रहमान के फ़रिश्ते गो हैं बहुत मुक़द्दस By तंज़ ओ मिज़ाह, Sher << न सुर्ख़ी ग़ुंचा-ए-गुल मे... जुनून-ए-मोहब्बत यहाँ तक त... >> रहमान के फ़रिश्ते गो हैं बहुत मुक़द्दस शैतान ही की जानिब लेकिन मेजोरिटी है Share on: