रात हिस्सा है मिरी उम्र का जी लेने दे By Sher << जामा-ए-सुर्ख़ तिरा देख के... किवाड़ बंद करो तीरा-बख़्त... >> रात हिस्सा है मिरी उम्र का जी लेने दे ज़िंदगी छोड़ के तन्हा मुझे जाती क्यूँ है Share on: